परशुराम जयंती पर भाषण 2023 - Speech on Parshuram Jayanti in Hindi

महर्षि भगवान परशुराम जयंती पर भाषण 2023 - Speech on Parshuram Jayanti in Hindi, इस दिन भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था, जो विष्णु के छठवें अवतार थे

परशुराम जयंती स्पीच इन हिंदी 2023: नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज की इस भाषण की रोचक जानकारी में, दोस्तों क्या आप Parshuram Jayanti Speech in Hindi परशुराम जयंती पर भाषण खोज रहे तो आप हमारे साथ अंत तक बनें रहिए क्योंकि दोस्तों आज हम यहाँ इस पृष्ठ आपके लिए Speech on Parshuram Jayanti in Hindi परशुराम जयंती पर बहुत ही सरल और शानदार भाषण लेकर आए हैं.

भाषण लेख शुरू करने से पहले आपको बता दें कि महर्षि परशुराम जयंती खासकर भगवान परशुराम जी का जन्मदिन मनाने के उपलक्ष्य में उनके भक्तों व उन विश्वास पर रखने वाले परिजनों द्वारा मनाई जाती है. इस दिन साक्षात भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में महर्षि भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था. उन्हीं को याद करने के लिए हर साल पूरे भारतवर्ष में वैशाख माह की अक्षय तृतीय शुक्ल को महर्षि परशुराम जयंती मनाई जाती है.

परशुराम जयंती पर भाषण Speech on Parshuram Jayanti in Hindi
Speech on Parshuram Jayanti in Hindi


परशुराम जयंती पर भाषण 2023 - Speech on Parshuram Jayanti in Hindi

Parshuram Jayanti Speech Intro - माननीय मुख्य अतिथि एवं मेरे प्यारे मित्रों और यहाँ उपस्थित समस्त छोटे बड़े गणो सभी को मेरा सादर प्रणाम, मैं आप सभी का आज के इस कार्यक्रम में तहे दिल से हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूँ. सबसे पहले आप सभी को "भगवान महर्षि परशुराम जयंती" की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बहुत बहुत बधाई हो. जैसा आप सब जानते ही होंगे की आज हम यहाँ क्यूँ और किसलिए एकत्रित हुए है. 

क्योंकि आज हमारे त्रेता युग में जन्म लेने वाले सबसे शक्तिशाली भगवान व शस्त्रविद्या के महान गुरु कहें जाने वाले भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था. जो शस्त्र विद्या के सर्वश्रेष्ठ जानकार थे और साथ ही उन्ही का जन्मदिवस मनाने के लिए आज हम यहाँ एक साथ सभी परिजन इकट्ठा हुए है. इसी को ध्यान में रखते हुए आज मैं भगवान परशुराम जयंती के इस शुभ अवसर पर भगवान परशुराम जी के बारे में आपके साथ, अपने कुछ शब्द प्रस्तुत करना चाहूँगा.

Parshuram Jayanti Main Speech - महर्षि परशुराम जयंती हर साल वैशाख माह की अक्षय तृतीय शुक्ल पक्ष को आती है. जो मुख्य रूप हमारे हिन्दू भाइयों व बहनों द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है. यही नहीं परशुराम जयंती एक ऐसा त्योहार है जिसे संपूर्ण भारत में न सिर्फ हिन्दूओं द्वारा बल्कि अन्य धर्म के लोग भी भगवान परशुराम जी पर विश्वास रखने वाले इस दिन बड़ी मात्रा में महर्षि परशुराम जी के मंदिरों में एकत्रित होकर इसे बड़े ही उत्साह व उल्लास से मनाते है.

हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी आज हम यहाँ भगवान परशुराम जयंती मनाने के लिए इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए यह हम सबके लिए कितनी सौभाग्य की बात है. आज का दिन हमारे लिए बहुत ही खुशी का दिन है क्योंकि आज हमें इस सुअवसर पर भगवान परशुराम जी का उत्सव मनाने का मौका मिला. आज भगवान परशुराम जी को याद करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन है हम समस्त भक्तों को कई दिनों से जिस दिन का इंतजार था आज वो पल हमारे सामने है. जिसको हमें अपनी पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाने की आवश्यकता है.

हमारा भारत एक सबसे पवित्र एवं धार्मिक देश माना जाता है. जहां कई महापुरुषों ने जन्म लिया और हमारी पवित्र मिट्टी में तब्दील हो गए उन्ही में से एक भगवान परशुराम जी भी थे. जो भगवान विष्णु के छठवें अवतार थे. भगवान परशुराम जी का जन्म त्रेता युग में रामायण काल के दौरान माना जाता है. वे एक ब्राह्मण ऋषि के रूप में पैदा हुए थे. उनके पिता का नाम जगदग्नि एवं माता का नाम रेणुका था. उनका बचपन का नाम राम था. क्या आप जानते हैं भगवान परशुराम का नाम परशुराम कैसे पड़ा था?

भगवान परशुराम जी जगदग्नि के पुत्र थे. उन्हें भगवान शिवजी द्वारा परशु नामक शस्त्र प्रदान किया गया था. जिसके कारण उनका नाम परशु+राम से परशुराम पड़ा था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा ऋचीक और विश्वामित्र के आश्रम से प्राप्त हुई थी. भगवान परशुरामजी का उल्लेख हमें महाभारत, रामायण, भागवत और कल्कि पुराण के ग्रन्थों में मिलता है. भगवान परशुराम जी ने अत्रि की पत्नी सती अनसूया, अपने प्रिय शिष्य अकृतवण और अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा की सहायता से विराट नारी जागृति अभियान चलाया था.

भगवान परशुराम जी ने अपनी अधिकांश शक्तियाँ अपने माता-पिता द्वारा उनके संरक्षण के साथ बचपन में ही प्राप्त कर ली थी. भगवान परशुराम जी समस्त जगत का कल्याण व धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार कर लोगों में आस्था जगाना चाहते थे. वे हमेशा अपने माता पिता और गुरुओं की आज्ञा की पालना करते थे. वे हमेशा हर वक्त बड़ों का आदर व सम्मान करते थे. उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी की अवहेलना नहीं की. वे यहीं चाहते थे कि यह सारा जगत पशु पक्षियों, फल फूलों, वृक्षों व प्रकृति के लिए हमेशा सदा-सदा के लिए जीवन्त रहे.

भगवान परशुराम जी का भाव इस समस्त जीव सृष्टि को इसकी प्राकृतिक सौंदर्य को बनाये रखने में सक्षम हो. उनका कहना था कि आम लोगों के लिए राजा का धर्म केवल वैदिक जीवन का प्रसार करना है नाकि अपनी प्रजा से आज्ञापालन करवाना. वे एक ब्राह्मण के रूप में अवश्य जन्में थे लेकिन कर्म से वे वाकई एक क्षत्रिय थे. उन्हें पुराणों व ग्रंथों में भार्गव जैसे के नाम से भी जाना जाता है. भगवान परशुराम जी के ये ऐसे विचारणीय विचार हमारे लिए किसी वर्दान से कम नहीं है. इसलिए हमें भी भगवान परशुराम जी बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए.

आज हमें परशुराम जयंती के इस शुभ अवसर पर यह प्रतिमा लेनी चाहिए की हम हमेशा भगवान परशुराम जी के विचारों व सिद्धांतों की पालना करेंगे और हमेशा उनके बताए हुए नियमों का पालन करेंगे. इससे हमारे दैनिक जीवन में बदलाव होगा और इसके साथ ही समस्त जगत का भी कल्याण होगा. हमें भगवान परशुराम जी के नियमों व सिद्धांतों को ग्रहण करना शुरुआत में भले ही कठिन लगे लेकिन वे हमारे लिए फायदेमंद ही सिद्ध होंगे. आज वो भले ही हमारे साथ नहीं है पर उनके संसार के प्रति सटीक विचार हमेशा हमारे साथ रहेंगे.

परशुराम जयंती यूँ ही नहीं मनाई जाती है इसे मनाने के पीछे भगवान परशुराम जी का योगदान व उनकी प्राथमिकता जुड़ी हुई है. इस दिन लोग ध्यान और पूजा करने के लिए परशुराम मंदिरों में जाकर भगवान परशुराम जी को याद करते है. इस त्योहार को मनाने से हमारे जीवन में शुभ होता है तथा बुरी आत्माए हमसे दूर हो जाती है. इसलिए परशुराम जयंती मनाना हमारे कितना जरूरी है आप समझ ही सकते हो. इसी के साथ मैं अपनी वाणी पर विराम देता हूँ. आप सभी परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बहुत बहुत बधाई हो.


परशुराम जयंती पर छोटा भाषण 2023 - Short Speech on Parshuram Jayanti in Hindi

माननीय मुख्य अतिथि एवं मेरे प्यारे मित्रों आप सभी को परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बहुत बहुत बधाई, आज दिन हमारे लिए बहुत खुशी और उत्साह का दिन है. क्योंकि आज महर्षि परशुराम जयंती है. आज के दिन तीनों लोको के स्वामी साक्षात हरी हरी भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था. जिनका जन्मदिन मनाने के उपलक्ष्य में आज हम यहाँ एकत्रित हुए है.

इस सुअवसर पर आपने मुझे यहाँ मंच पर अपने कुछ शब्द प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया उसके लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद, भगवान परशुराम जयंती मनाना हमारी पुरानी परंपरा है. क्योंकि यह जयंती हमारी सांस्कृतिक, प्राकृतिक व धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी हुई है इस दिन भगवान परशुराम जी जन्मे थे. कहा जाता है कि भगवान परशुराम जी का जन्म त्रेतायुग में दुष्टों का नरसंहार करने के लिए हुआ था.

जिन्हें भार्गव भी कहा जाता है. उन्ही को याद करने हेतु हर साल वैशाख माह की अक्षय तृतीय शुक्ल पक्ष को परशुराम जयंती मनाई जाती है. इस दिन विशेष रूप से भगवान परशुराम जी की पूजा की जाती है व उनकी तस्वीर पर फूलों के हार और तिलक लगाया जाता है. इस दिन भगवान परशुराम जी के मंदिरों में व्यापाक भक्तो का आयोजन होता तथा सभी भक्तगण एक साथ मिलकर भगवान परशुराम जी के गुणगान करते है.

भारत के हर क्षेत्र में इस त्योहार को लोगों द्वारा अपने धार्मिक व पारंपरिक सांस्कृतिक रिति रिवाजों के साथ बडी ही श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है. यह त्योहार लोगों का क्रोध कम करता व शांत स्वभाव उत्पन्न करता है. यह हिन्दूओं के पवित्र व धार्मिक त्योहारों में से एक है जो यह स्वयं परमात्मा का दिया हुआ उत्सव है. जो आम जनता को सर्वोत्तम शक्ती प्रदान करता है. इस त्योहार को मनाने से लोगों की धार्मिक भावनाएँ विकसित होती है.

इसलिए यह त्योहार मनाना हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व फायदेमंद है. इस दिन मुख्य रूप से भक्तगणों द्वारा पूजा, उपवास, व्रत, कथा, हवन आदि किया जाता है. कई स्थानों को सजा कर इस दिन भगवान परशुराम जी की तस्वीर सामने रखकर पूजा पाठ किया जाता है. मान्यता है कि इससे हमारे बुरे खतरे टलते है और घर व परिवार में सुख शांति का माहौल रहता है. इसलिए परशुराम जयंती का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही अधिक महत्व है.


मैं उम्मीद और आशा करता हूँ कि आपको यह लेख परशुराम जयंती पर भाषण 2023 Speech on Parshuram Jayanti in Hindi पसंद आया होगा यदि आपको यह लेख पसंद आये तो अपने दोस्तों में जरूर शेयर करना क्योंकि यदि कोई परशुराम जयंती पर भाषण चाहता हो तो उसे भी यह जानकारी उपलब्ध हो सके.


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परशुराम जयंती पर भाषण 2023 - Speech on Parshuram Jayanti in Hindi
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