डाली बाई का इतिहास, जीवन परिचय, समाधि स्थल daalee baee ka itihaas | jeevan parichay | samaadhi sthal
बाबा रामदेव जी की मुहबौली बहन डाली बाई का इतिहास और जीवन परिचय
डाली बाई का इतिहास | जीवन परिचय | समाधि स्थल | daalee baee ka itihaas | jeevan parichay | samaadhi sthal
डाली बाई की जीवन कथा और इतिहास
परिचय : -
डाली बाई कौन थी ? इसका जन्म कब और कहाँ हुआ था। कहा जाता है कि रामदेवजी अपनी बाल्यावस्ता में जब खेल रहे थे तब उन्हें एक पेड़ के नीचे एक शिशु मिला। यह शिशु एक छोटी बालिका का था। इस शिशु को रामदेव जी अपनी घर ले गए। और इस बालिका को रामदेव जी ने अपनी मुहबौली बहन बनाया। और इसका नाम इन्होंने " डाली बाई " रखा। रामदेव जी एक क्षत्रिय थे लेकिन उन्होंने एक दलित कन्या डाली बाई को अपनी बहन बनाया और इनका पालन पोषण किया। इसके माध्यम रामदेव लोग को यह संदेश देना चाहते थे की कोई छोटा या बड़ा नहीं है सब बराबर हैं। और हमें किसी में भी भेदभाव नहीं करना चाहिए वो चाहें हिन्दू हो या मुस्लिम। डाली बाई ने अपना संपूर्ण जीवन रामदेव जी की भक्ति में व्यतीत कर दिया।
मेघवंसी डाली बाई के माता - पिता : -
डाली बाई के माता पिता का क्या नाम था। शायर की धर्मपत्नी श्रीमती मगनीदेवी जयपाल की कोख से जन्म लेने वाली बालिका रामदेव से चार वर्ष छोटी और रामदेव की मुहबौली बहन डाली बाई थी। रामदेव जी ने डाली बाई के माता पिता के घर आने जाने में कोई हिंचक नहीं और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा। रामदेव जी के घर पर सभी रिश्तेदार, सगा संबंधी, वीरामदेव और इनके माता पिता डाली बाई के माता पिता के पास जाने के लिए मना करते हैं लेकिन राजा अजमाल भी इन्हें रोक नहीं सकते है। इन दोनों बाई बहन का प्रम जीवनभर रहा और स्नेही भक्ति भाव ही रामदेव रोक नहीं सका।
रामदेव जी डाली बाई की समाधि : -
डाली बाई की समाधि रामदेव जी की समाधि के निकट ही रामदेवरा (जैसलमेर) में स्थित है। डाली बाई ने भी रामदेव की समाधि के साथ ही रामदेव भक्ति में अपने समाधि ली।
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डाली बाई का इतिहास |
डाली बाई की भक्ति : -
डाली बाई ने अपना पूरा जी भगवान रामदेव की भक्ति में ही व्यतीत कर दिया। यह बचपन से रामदेव को अपना भगवान मानती थी। और इनकी भक्ति अर्चना करती थी।
डाली बाई का मंदिर:
डाली बाई और रामदेव जी का मंदिर मूंगडा गांव में बनाया गया है। और द्वितीय पाटोत्सव बड़े ही धुमधाम से बनाया गया।
Writer : Ganesh dodiyar
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