पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय इन हिंदी - Jawaharlal Nehru ka Jivan Parichay

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 जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi Language) - नमस्कार दोस्तों dramatalk.in पर आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है.

दोस्तों क्या आप जानते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू जिन्हें हम प्यार से चाचा नेहरू कहकर भी पुकारते है, जिन्हें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है. आज हम इस लेख के माध्यम से उन्ही का जीवन परिचय जानने वाले हैं.

जी हाँ दोस्तों यदि आप पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में खोजकर इस लेख में आए हैं और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख में शुरू से लेकर अंत तक बनें रहिए

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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय इन हिंदी - Jawaharlal Nehru ka Jivan Parichay
Jawaharlal Nehru ka Jivan Parichay

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय | Jawaharlal Nehru ka Jivan Parichay in Hindi

  • नाम: पंडित जवाहरलाल नेहरू
  • अन्य नाम: चाचा नेहरु, नेहरू जी
  • जन्म: 14 नवम्बर 1889
  • जन्म स्थान: इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
  • धर्म: हिन्दू
  • पेशा: राजनीतिज्ञ, लेखक व स्वतंत्र सेनानी
  • पिता का नाम: मोतीलाल नेहरु
  • माता का नाम: स्वरूपरानी नेहरु
  • स्कूल: हैरो स्कूल
  • काॅलेज: ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
  • विवाह: 8 फरवरी 1916
  • पत्नी का नाम: कमला नेहरु
  • बेटी का नाम: इंदिरा गाँधी
  • राजनीतिक दल: राष्ट्रवादी भारतीय कांग्रेस पार्टी
  • सम्मान/पुरस्कार: भारत रत्न 1955
  • पुस्तकें: भारत और विश्व, सोवियत रूस
  • प्रसिद्धि: भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
  • मृत्यु: 27 मई 1964
  • कार्यकाल: 1947 से 1964


पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय इन हिंदी | Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi Language

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता के पूर्व और आजादी के पश्चात केन्द्रीय मंडल के व्यक्ति थे. उन्हें भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वश्रेष्ठ नेता के रूप में जाना जाता है. उन्हें आधुनिक भारत के समाजवादी, सम्प्रभु, धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतान्त्रिक गणतन्त्र का वास्तुकार माना जाता है.

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक ऐसे स्वतंत्र सेनानी थे जिन्होंने भारतीय पुनर्गठन के रास्ते में आई हर चुनौती का ढटकर सामना किया. उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके अलावा उन्होंने विज्ञान और तकनीकी को प्रोत्साहन, योजना आयोग का गठन और पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ जैसे कई महान कार्य किए है.

जवाहरलाल नेहरू का प्रारंभिक जीवन -

पंडित जवाहरलाल नेहरू इलाहबाद, उत्तरप्रदेश में जन्मे थे. वे कश्मीर राज्य के एक सारस्वत ब्राह्मण समुदाय के वंशज थे. जवाहरलाल नेहरू के पिता एक समाजसेवी के रूप में काम करते थे, नेहरू जी का परिवार एक संपन्न परिवार था इसलिए उन्हें बचपन में किसी भी चीज का कमी महसूस नहीं हुई.

उनका बचपन बड़े ही शान और शोहरत के साथ से बीता. जवाहरलाल नेहरू उनके परिवार में इकलौते वारीस थे. उनकी तीन बहनें थी. उनके पिता राजनीति से जुड़े हुए थे क्योंकि वे अपने निजी कार्यों के साथ ही एक स्वतंत्र सेनानी भी थे इसलिए उनके घर राजनीतिज्ञों का आना जाना होता रहता है जवाहरलाल नेहरू पर इनका गहरा प्रभाव पड़ा और वे धीरे-धीरे राजनीति में विश्वास करने लगे.

जवाहरलाल नेहरू की माता एक धार्मिक स्त्री के साथ ही एक धार्मिक विचारों वाली भी थी. उनके पालन-पोषण के दौरान जवाहरलाल नेहरू पर प्राचीन भारतीय विरासत का भी प्रभाव पड़ा. जवाहरलाल नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में ही पूरी हुई हालाँकि वे अपने बाकी की शिक्षा पूरी करने के लिए बाद में विदेश गए थे. इस प्रकार जवाहरलाल नेहरू का प्रारंभिक जीवन इलाहाबाद में ही बीता.

जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब और कहां हुआ था -

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14|11|1889 को इलाहबाद (प्रयागराज) के एक संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे एक ब्राह्मण समाज के व्यक्ति थे कहा जाता है कि जवाहरलाल नेहरू के दादा, दादी और पिता पहले जम्मू कश्मीर में रहते थे, जहाँ कुछ कारणों की वजह से इलाहाबाद में प्रवासी हो गए और वही पर नेहरू जी का जन्म हुआ था.

जवाहरलाल नेहरू की माता और पिता -

पंडित जवाहरलाल नेहरू के माता, पिता को राजनीति से बहुत लगाव था. उनके पिता का नाम श्रीमन मोतीलाल नेहरु था व माता का नाम श्रीमती स्वरूपरानी नेहरु था. उनकी माता एक धार्मिक स्त्री थी और पिता वकील थे. मोतीलाल की पहली पत्नी का प्रसव के समय मृत्यु हो गई थी. स्वरूपरानी उनकी दूसरी पत्नी थी जिसके के कुल तीन बच्चे थे जिनमें एक जवाहरलाल नेहरू और दो उनकी छोटी बहनें थी.

नेहरू जी की बड़ी बहन का नाम श्रीमती विजया लक्ष्मी था और छोटी बहन का नाम श्रीमती कृष्णा हठीसिंग था. विजया लक्ष्मी बाद में "संयुक्त राष्ट्र महासभा" की प्रथम महिला अध्यक्ष के रूप में चुनी गई और उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ. वही छोटी बहन कृष्णा हठीसिंग एक प्रसिद्ध लेखिका के रूप में जानी जाती है उन्होंने अपने पूरे करियर में अन्य पुस्तकों की तुलना अपनी परिवार जन और

भाई जवाहरलाल नेहरू पर अधिक पुस्तकें लिखी है. जवाहरलाल नेहरू के साथ ही उनकी बहनों ने भी वास्तव देश के गौरव के लिए सराहनीय कार्य किया है क्योंकि आज उन तीनों को महान व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है. जवाहरलाल नेहरू मुख्यतः कश्मीरी पंडित समुदाय से थे इसलिए कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से उन्हें पंडित नेहरू नाम दिया गया था जिसकी वजह से आज भी उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम से जाना जाता है.

पंडित जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा -

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों व नामी विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा पूर्ण की थी, क्योंकि वे अत्यधिक धनी परिवार में पैदा हुए थे. जिसकी वजह से उन्हें बहारी शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी झंझट की आवश्यकता नहीं हुईं. जवाहरलाल नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही अपनी निजी शिक्षकों से पूरी की, इस दौरान वे 14 वर्ष की अवस्था के थे.

सन 1905 में जवाहरलाल नेहरू अपनी 15 साल की आयु में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए इंग्लैंड चलें गए जहाँ उन्होंने हैरो नामक शिक्षा संस्थान में रहकर लगभग दो साल बीताए. उसके बाद उन्होंने अपनी कॉलेज की शिक्षा, स्नातक की डिग्री ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से पूरी करी. उसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहाँ से लाॅ की डिग्री प्राप्त की.

जवाहरलाल नेहरू ने इंग्लैंड में लगभग सात साल बीताए जिसमें उन्होंने वहां के आयरिश राष्ट्रवाद व फैबियन समाजवाद के लिए एक तर्कसंगत विचारधारा विकसित की. 1912 के आसपास जवाहरलाल नेहरू भारत वापस लौटे और उन्होंने वकालत शुरू की. पंडित जवाहरलाल नेहरू शिक्षा के संबंध में अन्य राजनेताओं से अधिक पढ़े लिखे थे क्योंकि उन्होंने अपनी स्कूलों और विश्वविद्यालय की शिक्षा को हमेशा अग्रसर रखा.


जवाहरलाल नेहरू का विवाह, पत्नी, परिवार और बेटी का नाम

पंडित जवाहरलाल नेहरू का विवाह 8 फरवरी 1916 को कमला कौल के साथ संपन्न हुआ था. उनकी पत्नी का पूरा नाम 'कमला कौल नेहरू' था. जब नेहरू जी की शादी हुई इस दौरान कमला कौल नेहरू की आयु मात्र 17 वर्ष की थी.

नेहरू जी के शादी के एक साल बाद एक बच्ची का जन्म हुआ जिसका नाम इंदिरा गाँधी था. जब इंदिरा गाँधी 19 वर्ष की अवस्था में थी तभी उनकी माता, नेहरू जी धर्मपत्नी कमला कौल नेहरू का टीबी के कारण देहांत हो गया था.

पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी -

जवाहरलाल नेहरू की बेटी का नाम श्रीमती इंदिरा गाँधी था. जिस प्रकार पंडित जवाहरलाल नेहरू को देश हित कार्यों के लिए जाना जाता है ठीक उसी प्रकार उनकी बेटी इंदिरा गांधी को भी देश हित के कार्यों के लिए जाना जाता है. इंदिरा गाँधी का जन्म जवाहरलाल के विवाह के 1 साल बाद 19 नवम्बर 1917 को हुआ था. जिन्हें देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है.


पंडित जवाहरलाल का राजनीतिक कैरियर (Political career)

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने जीवनकाल के लगभग दस साल विदेशों में ही गुजारे क्योंकि वे मात्र पंद्रह साल की उम्र में ही विदेश चले गए थे इस दौरान वे बहुत ही कम उम्र के बालक थे. नेहरू जी इंग्लैंड में लगभग सात वर्ष तक रहे और दो वर्ष उन्होंने लंदन में बीताए.

1912 में नेहरू जी ने इंग्लैंड में अपनी लाॅ की डिग्री पूरी की और इंग्लैंड से वापस भारत लौटे. भारत आते ही उन्होंने वकालत शुरू की लेकिन 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकाण्ड होने के बाद वकालत छोड़ दी.

पंडित जवाहरलाल नेहरू की महात्मा गाँधी और सुभाष चंद्र बोस के साथ मुलाकात -

1916 में जवाहरलाल नेहरू अपनी शादी के बाद 1917 में "होम रुल लीग" में सम्मिलित हुए इस दौरान दो साल बाद उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई और वे महात्मा गाँधी के नेतृत्व में आए. यह नेहरू जी के लिए राजनीति में उनका पहला कदम था जो उन्होंने राजनीति को इतना करीब से देखा था.

जब जवाहरलाल नेहरू गाँधीजी से मिले थे तब गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान चालु किया था. जिसमें नेहरू जी ने सर्वश्रेष्ठ नेता के रूप में भाग लिया. उसके बाद नेहरू जी सविनय अज्ञात आंदोलन की ओर आकर्षित हुए और गाँधीजी के उपदेशों का पालन करते हुए पश्चिमी कपड़े और महंगी संपत्ति आदि त्यागकर गाँधीजी की तरह गांधी टोपी और खादी कुर्ता पहने लगे.

अब उन्होंने महात्मा गाँधी द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का निर्णय लिया था. सन 1920 में हुए असहयोग आंदोलन में नेहरू जी ने सक्रिय भागीदार के रूप में हिस्सा लिया और सन 1922 तक असहयोग आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस दौरान वे पहली बार जेल भी गए थे हालाँकि कुछ महीने जेल में रहे और फिर बाद में वापस रिहा कर दिए गए थे.

सन 1924 में नेहरू जी को इलाहबाद नगर-निगम द्वारा अध्यक्ष के रूप में चुना गया जहाँ उन्होंने लगभग दो वर्ष तक का समय शहर की सेवा में लगाया और 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों के असहायोग के कारण अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद 1926 में ही नेहरू जी "अखिल भारतीय कांग्रेस समिति" के महासचिव बनें और 1928 तक रहे.

1928 से 1929 के बीच जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन किया गया. जो दो गुटों में बँटा हुआ था एक ओर स्वयं जवाहरलाल नेहरू थे और दूसरी और सुभाष चंद्र बोस थे. जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश सरकार से प्रभुत्व सम्पन्न राज्य देने की मांग की और सुभाष चंद्र बोस ने पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया

जिसमें गांधीजी ने इन गुटों के बीच का हल खोज लिया और उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार को 2 वर्ष तक का समय दिया जाता हैं अगर वे भारत को राज्य का दर्जा दे दे तो ठीक है वरना कांग्रेस पूरी राजनीति के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय लड़ाई छेड़ देगी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसका कोई हल नहीं निकाला. 1929 के अंत में लाहौर में कांग्रेस का वार्षिक सम्मेलन आयोजित हुआ.

जिसमें जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. इस दौरान कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें पूर्ण स्वराज की मांग का समर्थन था. लेकिन फिर भी ब्रिटिश सरकार का कोई जवाब ही नहीं था. जनवरी 1930 को जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर में "स्वतंत्र भारत का ध्वज" लहराया और इसके साथ ही गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया.

जोर जोर से आह्वान किया और स्वतंत्र भारत की मांग की इस बार उनका प्रयास सफल रहा और ब्रिटिश सरकार उनको दर्जा देने के लिए विवश हो गई. सन 1935 में ब्रिटिश सरकार ने एक प्रस्ताव जारी किया जिसमें चुनाव का जिक्र किया गया था. तब कांग्रेस समिति ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. कांग्रेस ने भारत के अधिकांश हिस्सो में जीत हासिल की और हर प्रदेश में अपनी सरकार की नींव रखी.

1936 में नेहरू जी कांग्रेस सरकार के अध्यक्ष पद पर तैनात रहे. उसके बाद 1942 में गांधी द्वारा भारत छोडो आंदोलन शुरू हुआ जिसमें जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया और तीन साल तक जेल में रहे. 1945 में नेहरू जी जेल से वापस छुटे और 1947 में भारत को आजादी मिली. भारत को आजादी मिलने के बाद नेहरू जी ने ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया.


जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री के रूप में

सन 1947 में भारत आजाद होने के बाद कांग्रेस में प्रधानमंत्री के लिए मतदान हुआ जिसमें जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, आचार्य कृपलानी चुनाव के लिए खड़े हुए थे. आंकडो के अनुसार आचार्य कृपलानी के पास सबसे अधिक मत थे लेकिन गाँधीजी के कहने पर आचार्य कृपलानी और सरदार पटेल ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री का स्थान सौंपा. इस दौरान जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे.


पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु

पंडित जवाहरलाल नेहरू हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते थे उनकी सोच थी हम जिस प्रकार अपने पड़ोसियों के साथ रहते हैं ठीक उसी प्रकार अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ भी प्रेम से रहना चाहिए लेकिन 1962 में भारत पर चीन का हमला हुआ जिसमें नेहरू जी पर गहरा प्रभाव पड़ा 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई.


पंडित जवाहरलाल नेहरू के लेखन-कार्य एवं प्रकाशन

समस्त राजनीतिक विवादों में सर्वोपरि होने के साथ साथ जवाहरलाल नेहरू एक अच्छ लेखक भी थे. राजनीतिक क्षेत्रों में लोकमान्य तिलक के बाद नेहरू जी को लिखने वाले नेताओं में एक अलग ही पहचाने दी थी. वास्तविक रूप से दोनों के क्षेत्र अलग अलग थे लेकिन दोनों के लेखन में सुसंबद्धता की पर्याप्त मात्रा विद्यमान थी. जवाहरलाल नेहरू स्वभाव से ही स्वाध्यायी थे,

नेहरू जी ने बहुत ही व्यवस्थित रूप से अनेकों पुस्तकें लिखी है. क्योंकि उन्हें महान् ग्रंथों का ज्ञान था. कई प्रकार की राजनैतिक उत्तेजनाएं होने पर भी नेहरू जी स्वाध्याय के लिए हर दिन समय निकाल लिया करते थे. नेहरू जी ने अपने लेखन के माध्यम से अधिकांश पुस्तकें जेल में ही लिखी थी. उनकी पुस्तकों में एक साहित्यकार के भावप्रवण एवं इतिहासकार के खोजी हृदय का मिला जुला वर्णन मिलता है.


पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रकाशित पुस्तकें

  1. मेरी कहानी
  2. विश्व इतिहास की झलक
  3. राष्ट्रपिता
  4. भारत की खोज
  5. हिन्दुस्तान की कहानी
  6. इतिहास के महापुरुष
  7. राजनीति से दूर
  8. जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय
  9. पिता के पत्र:पुत्री के नाम




पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़े पूछे जाने वाले प्रश्न -

Q.1 पंडित जवाहरलाल नेहरू कहां के रहने वाले थे?

Ans. इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

Q.2 जवाहरलाल नेहरू का जन्म कहां हुआ था?

Ans. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में

Q.3 पंडित जवाहरलाल नेहरू कब हुआ था?

Ans. 14 नवंबर 1889

Q.4 जवाहरलाल नेहरू की माता और पिता का नाम क्या था?

Ans. स्वरूप रानी नेहरू

Q.5 जवाहरलाल नेहरू के कितने बच्चे थे?

Ans. 1 बेटी इंदिरा गाँधी

Q.6 जवाहरलाल नेहरू की बेटी का नाम क्या था?

Ans. इंदिरा गाँधी

Q.7 पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री कब बने थे?

Ans. सन 1947 में

Q.8 जवाहरलाल नेहरू कितने वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे?

Ans. 1947 से 27 मई 1964 तक

Q.9 पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के प्रधानमंत्री कौन बने?

Ans. गुलजारीलाल नंदा

Q.10 जवाहरलाल नेहरू को भारत रत्न कब मिला?

Ans. सन 1955 में

Q.11 पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कौन सी पुस्तक लिखी थी?

Ans. भारत की खोज, हिन्दुस्तान की कहानी, इतिहास के महापुरुष, राजनीति से दूर आदि

Q.12 जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई

Ans. 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से


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