क्षेत्रवाद क्या है? What is Regionalism in Hindi

What is Regionalism in Hindi - क्षेत्रवाद क्या है तथा इसका अर्थ, परिभाषा, कारण, प्रभाव, समाधान, दुष्परिणाम, विशेषताएं, इसे रोकने के उपाय

क्षेत्रवाद क्या है तथा इसका अर्थ, परिभाषा, कारण, प्रभाव, समाधान, दुष्परिणाम, विशेषताएं और इसे रोकने के उपाय

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस लेख में, दोस्तों आज हम यहाँ इस पृष्ठ पर क्षेत्रवाद से जुड़ी जानकारी आपके साथ साझा करने वाले जिसमें हम यह जानेंगे क्षेत्रवाद क्या है?, क्षेत्रवाद से क्या आशय है?, क्षेत्रवाद के क्या कारण है?, क्षेत्रवाद के दुष्परिणाम क्या है?, क्षेत्रवाद के प्रभाव, क्षेत्रवाद की विशेषताएं और क्षेत्रवाद को रोकने के उपाय. तो चलीए आगे बढ़ते हैं और जानते है आखिर क्षेत्रवाद क्या है तथा इसका अर्थ, परिभाषा, कारण, प्रभाव, समाधान, दुष्परिणाम, विशेषताएं और इसे रोकने के उपाय

क्षेत्रवाद क्या है तथा इसका अर्थ, परिभाषा, कारण, प्रभाव, समाधान, दुष्परिणाम, विशेषताएं और इसे रोकने के उपाय


क्षेत्रवाद क्या है? (What is Regionalism ?)

Kshetravaad kya hai? स्थानीय निवासियों द्वारा संघ या राज्य की तुलना में किसी विशेष क्षेत्र या प्रान्त से लगाव व उसकी प्रोन्नति के विशेष प्रयास क्षेत्रवाद की श्रेणी में आते है उसे ही क्षेत्रवाद कहा जाता है. क्षेत्रवाद का उद्देश्य अपने संकीर्ण क्षेत्रीय स्वार्थों की पूर्ति होता है. क्षेत्रवाद एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें लोग क्षेत्र विशेष, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक शक्तियों की अन्य से अधिक मांग करते है. सरल भाषा में कहें तो अपने क्षेत्र या भूगोलिक के प्रति अधिक प्रयत्न और आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक अधिकारों की चाह ही क्षेत्रवाद कहलाता है.


क्षेत्रवाद अर्थ और परिभाषा

क्षेत्रवाद का क्या अर्थ है तथा इसकी परिभाषा - क्षेत्रवाद एक प्रकार से व्यक्तियों की भावनाएँ और मनोवृत्ति है. जो राज्य या विशेष क्षेत्रों में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मामलों में व्यक्तियों की अधिक मांगो से पनपता है. क्षेत्रवाद का अर्थ "प्रथम क्षेत्र के व्यक्तियों द्वारा खुद को द्वितीय क्षेत्र के व्यक्तियों से श्रेष्ठ मानना है." इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर क्षेत्रवाद का अर्थ व्यक्त करते हुए कुछ महापुरुषों इसे भिन्न-भिन्न परिभाषाओं में परिभाषित किया है जो इस प्रकार है

बोगार्डस के अनुसार - ऐसा क्षेत्र जहाँ रहने वाले लोगों का भौगोलिक क्षेत्र और आर्थिक साधन सामान्य सामुदायिक हितों की बढौतरी के लिए अलग-अलग तथा भिन्न-भिन्न अर्थव्यवस्था प्रदान करता हो ऐसी स्थिति क्षेत्रवाद को इंगित करती है.

आर.सी. पाण्डेय के अनुसार - हिन्दी बोलने वाले क्षेत्र या न बोलने वाले क्षेत्रों में विरोध और इसके अतिरिक्त अन्य घटनाएँ क्षेत्रवाद है.

वेबस्टर शब्दकोश के अनुसार - क्षेत्रवाद में बड़े या छोटे राज्यों के प्रति भक्ति और जागरूकता पायी जाती है. जो मुख्य रूप से सामान्य संस्कृति के हित में क्षेत्रवाद की विशेषता है.

हेडविग हिंट्ज के अनुसार - क्षेत्रवाद क्षेत्र-विशेष व्यक्तियों के विशेष अनुराग और पक्षपातपूर्ण धारणाओं से परिपूर्ण है.

अरूण चटर्जी के अनुसार - क्षेत्रवाद एक बहुपरिणाम तथ्यों से निर्मित प्रघटन तथा यह राष्ट्रीय प्रक्रियाओं में निहित देखा जाता है.


क्षेत्रवाद के प्रकार

क्षेत्रवाद को मुख्यतः चार रूपों से व्यक्त किया जाता है -

  1. भारतीय संघ के साथ संबंध तोड़ने की मांग करने वाले क्षेत्र द्वारा.
  2. एक निश्चित क्षेत्र को एक अलग राज्य बनाने की मांग करके.
  3. किसी क्षेत्र को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए.
  4. प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार आदि जैसे अंतर-राज्यीय मुद्दों में इसके पक्ष में समाधान की मांग करके.


क्षेत्रवाद के प्रमुख कारण (Causes of Regionalism)

1. प्रकृति प्रदत्त भिन्नताएँ व असमानताएँ.

2. प्रशासन द्वारा क्षेत्रों में संसाधनों के समान वितरण की कमी या प्रशासनिक भेदभाव होना.

3. केन्द्रीय निवेश व विकास सम्बन्धी भिन्नता.

4. ऐतिहासिक एवं राजनीतिक कारण.

5. सांस्कृतिक विविधताएँ.

6. भाषा विविधताओं से क्षेत्रवाद की भावना को बल देना.


क्षेत्रवाद के दुष्परिणाम और प्रभाव

1. देश की अखण्डता को चुनौती - क्षेत्रीय आकांक्षाओं के बलवती होने की प्रक्रिया में राष्ट्र की एकता व अखंडता को गौण कर दिया जाता है, यहाँ तक कि इसके उग्र स्वरूप में तो कई बार पृथकतावाद का भाव भी पनपने लगता है जो राष्ट्रीय अस्मिता को चुनौती दे डालता है. इससे क्षेत्र विशेष का संघ सरकार व उसकी नीतियों से भरोसा उठ जाता है. हमारी राष्ट्रीय राजनीति में पिछले सात दशकों का अनुभव इस सम्बन्ध में अच्छा नहीं रहा है.

2. नए राज्यों की मांग.

3. क्षेत्रीय राजनीति एवं राजनीतिक दलों का प्राबल्य.

4. भूमि-पुत्र की अवधारणा.

5. स्वयंभू नेताओं का उदय.

6. राष्ट्रीय कानूनों व आदेशों को चुनौती से अराजकता की स्थिति का पनपना.

7. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में देश की साख खराब होना - आंतरिक क्षेत्रीय समस्याएँ हमारी अन्तर्राष्ट्रीय छवि को खराब करती है. जो कभी मानवाधिकार के नाम पर तो कभी लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरक्षण के नाम पर अन्य राष्ट्र हमारी क्षेत्रवाद के आधार पर उठ रही मांगों की आड़ में अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर आलोचनाएँ करते है.


क्षेत्रवाद की मुख्य विशेषताएं

  • क्षेत्रवाद पीढ़ी दर पीढ़ी सीखा हुआ व्यवहार है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरण होता है
  • क्षेत्रवाद विशिष्ट क्षेत्रों में पनपता है और इसका संबंध विशिष्ट क्षेत्रों से होता है.
  • क्षेत्रवाद हमारी मांगो की मानसिकता एवं संकीर्ण आचरण का परिणाम है.
  • क्षेत्रवाद मानव-व्यवहार और रहन-सहन के प्रतिकूल स्तरों भी तेजी से प्रभावित करता है.
  • क्षेत्रवाद दुसरे राज्यों की तुलना में अपने राज्य को अधिक श्रेष्ठता की प्रवृत्ति जताता है.
  • क्षेत्रवाद सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक मामलों से उत्पन्न होता है.
  • क्षेत्रवाद अपने क्षेत्र के प्रति स्वार्थ के भावों विकसित करता है.
  • क्षेत्रवाद खासकर क्षेत्रीय विकास पर सबसे अधिक जोर देता है.


क्षेत्रवाद को रोकने के उपाय

क्षेत्रवाद समस्या के समाधान का उपाय उसके कारणों में निहित होता है. जिसमें क्षेत्रवाद पनपने के कारणों को समाप्त करने से ही इस समस्या से समाधान पाया जा सकता है. लेकिन इसके बावजूद भी क्षेत्रवाद को रोकने के उपाय है जिनसे हम क्षेत्रवाद की समस्या का समाधान पा सकते हैं जो इस प्रकार है -

1. संतुलित राष्ट्रीय नीति निर्माण - केन्द्र सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह सभी क्षेत्रों में समान विकास हेतु नीति निर्माण के समय राजनीतिक भेदभाव किए बिना संतुलित व समदर्शी नीति निर्माण करे. छोटे संसाधनों की दृष्टि से अपेक्षाकृत कमजोर क्षेत्रों/राज्यों के विकास को भी समान प्राथमिकता दें. इससे धीरे-धीरे वहाँ के निवासियों में विश्वास पैदा होता जाएगा व क्षेत्रवाद का उग्र स्वरूप शान्त होगा.

2. राज्यों में स्थाई आधारभूत ढाँचागत विकास - क्षेत्रीय भिन्नताओं में कमी लाने के लिए पिछड़े व अविकसित क्षेत्रों में सिंचाई, बिजली, यातायात व संचार के आधारभूत साधनों के विकास को प्राथमिकता देनी होगी जिसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे.

3. विकास के विशेष कार्यक्रमों का परियोजनाओं के रूप में प्रारम्भ किया जाना - यह प्रक्रिया सरकार ने प्रारम्भ कर भी दी है जिसके तहत मरु विकास कार्यक्रम (DDP), जनजाति क्षेत्र विकास कार्यक्रम (TADP), सूखा संभाव्य क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP), पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (AADP) विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना आदि से क्षेत्रीय असंतुलन कम किया जा सकता है.

4. प्रशासनिक दृष्टि से छोटे राज्यों का गठन -  छोटे-छोटे राज्यों से प्रान्तीय सरकारों द्वारा स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाए जाए जिससे केन्द्रीय करों के वितरण में ही हिस्सेदारी बढ़ती है.

5. सांस्कृतिक भिन्नता को एकीकरण की ताकत बनाना - दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्रों व अन्य सम्प्रेषण माध्यमों द्वारा भिन्नता को ही ताकत के रूप में उभारना हमारी पहल हो. संस्कृतियों की पहचान व प्रतिष्ठा देना और उन्हें एक-दूसरे के साथ साहचर्य भाव से जोड़ना होगा इससे हमारी सांस्कृतिक भिन्नता कम होगी हालाँकि यह एकीकरण का माध्यम हो सकता है.

6. भाषायी विविधता का सम्मान - हमारा संविधान भी इन्हें मान्यता देकर विविधता को स्वीकार कर चुका है. हमें सभी प्रान्तों की भाषाओं को परस्पर सम्मान देना होगा, इन भाषाओं का अनुवाद दायरा बढ़ाना होगा और विद्यालय पाठ्यक्रम में इन्हें समुचित स्थान देना होगा इससे भाषाई क्षेत्रवाद कम होगा.


क्षेत्रवाद से संबंधित कुछ सवाल (FAQ)

Q.1 क्षेत्रवाद का क्या अर्थ है?

Ans. किसी विशेष क्षेत्र के व्यक्तियों द्वारा खुद को दूसरे क्षेत्र के व्यक्तियों से श्रेष्ठ मानना क्षेत्रवाद है.

Q.2 क्षेत्रवाद से क्या आशय है?

Ans. क्षेत्रवाद का आशय किसी क्षेत्र विशेष, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक शक्तियों की अन्य से अधिक मांग करना होता है.

Q.3 क्षेत्रवाद का एक परिणाम है?

Ans. क्षेत्रीय आकांक्षाओं के बलवती होने की प्रक्रिया में राष्ट्र की एकता और अखंडता को गौण कर दिया जाता है, जिससे पृथकतावाद का भाव भी पनपने लगता है जो राष्ट्र के लिए एक चुनौती होती है. इससे क्षेत्र विशेष का संघ सरकार व उसकी नीतियों से भरोसा उठ जाता है.

Q.4 क्षेत्रवाद के क्या कारण है?

Ans. प्रकृति प्रदत्त की भिन्नताएँ और असमानताएँ क्षेत्रवाद का प्रमुख कारण है.

Q.5 क्षेत्रवाद के प्रभाव कौन-कौनसे है?

Ans. भूमि-पुत्र की अवधारणा, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में देश की साख खराब होना आदि.

Q.6 क्षेत्रवाद से आप क्या समझते है?

Ans. यह राष्ट्रवाद के अधीन की अवस्था माना जाता है,
जो राष्ट्रीय हितों एवं आदर्शो पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है.

Q.7 क्षेत्रवाद के दुष्परिणाम लिखिए?

Ans. स्वयंभू नेताओं का उदय, नए राज्यों की मांग, राष्ट्रीय कानूनों व आदेशों को चुनौती आदि.

Q.8 क्षेत्रवाद की विशेषताएं क्या है?

Ans. क्षेत्रवाद की प्रमुख विशेषता यह है कि क्षेत्रवाद सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक मामलों में उत्पन्न होता है जो मानव-व्यवहार और रहन-सहन को प्रभावित करता है.

Q.9 भाषाई क्षेत्रवाद क्या है?

Ans. भाषा की विविधता के कारण व्यक्ति अपनी स्थानीय भाषा को अधिक महत्व देते है और दूसरी भाषा को नफरत करते है या फिर उसे महत्व नही देते है तो भाषाई क्षेत्रवाद कहलाता है.


उम्मीद करता हूँ की आपको क्षेत्रवाद क्या है? What is Regionalism in Hindi का लेख पसंद आया होगा. जिसमें हमने जाना है कि क्षेत्रवाद क्या है तथा इसका अर्थ, परिभाषा, कारण, प्रभाव, समाधान, दुष्परिणाम, विशेषताएं और इसे रोकने के उपाय, यदि आपको यह लेख पसंद आए तो अपने दोस्तों में जरूर शेयर करे.


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