भगवान विश्वकर्मा जयंती पर भाषण Vishwakarma jayanti speech in hindi आज भगवान विश्वकर्मा जयंती है विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही क्यों? मनाते है
नमस्कार ! शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म में कई देवी देवता उत्पन्न हुए और हम उनकी पूजा करते हैं ठीक उसी प्रकार भगवान विश्वकर्मा भी उन्ही में एक और सर्व श्रेष्ठ है, लेकिन भगवान विश्वकर्मा को सबसे प्रमुख देवता माना जाता है। आज हम सृष्टि के सबसे बड़े वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा जिन्होंने देवताओं का भी निर्माण किया है उन्हीं के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर भाषण करने वाले विश्वकर्मा की अमर लीलाओं से सृष्टि का निर्माण हुआ। इसलिए इन्हें देवताओं के भी देवता कहा जाता है।
विश्वकर्मा जयंती पर भाषण Vishwakarma jayanti speech in hindi
स्पीच इन्ट्रो Speech intro
यहाँ पर उपस्थित सभी मेरे प्रिय मित्रों एवं समस्त बड़ो को सबसे पहले विश्वकर्मा जयंत पर सबको मेरा शत-शत प्रणाम। आज भगवान विश्वकर्मा का जन्म दिन है। और माना जाता है कि वो आज के दिन ही जन्मे थे, तो आज मैं उन्हीं की जीवन शैली के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर चर्चा करने वाले हूँ। यदि आज के इस भाषण में कोई गलती हो जाए तो मुझे क्षमा करें।
Vishwakarma jayanti speech in hindi:
भगवान विश्वकर्मा को दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर के रूप में जाना जाता है। भगवान विश्वकर्मा का मतलब यानी कि सृजन का निर्माण, इन्होंने सृष्टि निर्माण में त्रिलोकी के सबसे बड़े भगवान में एक साक्षात ब्रह्माजी की भी सहायता की थी। इन्होंने ही देवी देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, नगर, और घरों का भी निर्माण किया।
आज भगवान विश्वकर्मा जयंती है विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही क्यों? मनाई जाती है। क्योंकि आज 17 सितंबर के दिन ही विश्वकर्मा के समाज और उनके मुख्य मत के अनुसार विश्वकर्मा की एकदम सही और सटीक जयंती मनाने का दिन है। विश्वकर्मा शिल्पकार की एक महान हस्ती है।
भगवान विश्वकर्मा एक प्रसिद्ध ज्ञानी ऋषि और शिल्पकार थे। आज वो हमारे साथ नहीं लेकिन वो हर एक व्यक्ति के जीवन में कला के रूप में दिखाई देते है। वेदों और पुराणों में में इनका श्रद्धा सहित उल्लेख मिलता है। आज संसार जगत निर्माता भगवान विश्वकर्मा नहीं होता तो शिल्पकला और वास्तुकला का कोई नाम ही नहीं होता। वास्तुकला से ही किसी भी वस्तु की पहचान होती। इन वास्तु निर्माता कलाकारों का श्रेय भी भगवान विश्वकर्मा को ही जाता है।
भगवान विश्वकर्मा की व्यापक शक्ती से एक विशाल ब्राह्मण कुल का वर्ग उत्पन्न हुआ है। विश्वकर्मा का विवाह बहिर्ष्मती के साथ सम्पन्न हुआ था। बहिर्ष्मती ने अपनी कोख से लगभग 10 पुत्रों को जन्म दिया। भगवान विश्वकर्मा की इन्हीं लीलाओं ने संसार में एक विशाकाया साम्राज्य स्थापित किया।
लंका पति नरेश रावण की सोने की नगरी का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया है। श्री कृष्ण की नगरी द्वारका और कौरवो का नगर हस्तिनापुर का निर्माण भी इन्होंने ही किया है।
आज 17 सितंबर के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से उद्योगों, फैक्टरियों और कारखानों में धन की प्राप्ति होती है इसलिए आज का दिन सबसे शुभ माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा दीवाली के दिन गोवर्धन पूजा के साथ भी की जाती है। साल के सुरुआती दिन फरवरी में भी विश्वकर्मा जयंती बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जाती है।
इस प्रकार विश्वकर्मा जयंती शुभ फल की प्राप्ति के लिए के लिए मनाई जाती है। और भगवान विश्वकर्मा से कला का एक नया रूप मिलता है। इतना ही कहकर मैं अपनी बात को खतम करता/करती हूँ।
भगवान विश्वकर्मा की।
जय।
भगवान विश्वकर्मा जयंती पर भाषण || Vishwakarma jayanti speech in hindi
भगवान विश्वकर्मा जयंती पर भाषण
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